रांची-
झारखंड विधानसभा में पारित राज्य विश्वविद्यालय विधेयक-2025 ने राज्य की छात्र राजनीति में भूचाल ला दिया है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने इसे विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता पर हमला और छात्रों के अधिकारों की अवहेलना बताते हुए सड़कों पर उतरने की चेतावनी दी है। एबीवीपी प्रदेश मंत्री मनोज सोरेन ने कहा कि राज्य सरकार इस विधेयक के ज़रिए उच्च शिक्षा संस्थानों को अपनी कठपुतली बनाना चाहती है। कुलपति और प्रति कुलपति की नियुक्ति प्रक्रिया को राजनीतिक नियंत्रण में लाना लोकतंत्र की हत्या है। यह छात्रों की आवाज़ दबाने और विश्वविद्यालयों को सरकार की मोहताज़ बनाने की साजिश है। छात्र संगठन का आरोप है कि पहले ही झारखंड में शिक्षा व्यवस्था अव्यवस्था की शिकार है। झारखंड लोक सेवा आयोग (JPSC), झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (JSSC) और झारखंड अकादमिक काउंसिल (JAC) पर आए दिन पेपर लीक, परीक्षा में धांधली और नियुक्ति में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगते रहे हैं। ऐसे हालात में विश्वविद्यालयों पर सरकारी पकड़ और कड़ी कर देना छात्रों के भविष्य के साथ सीधा खिलवाड़ है। एबीवीपी ने साफ चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने इस विधेयक को वापस नहीं लिया तो राज्यभर में उग्र आंदोलन होगा। परिषद ने कहा कि छात्र लोकतांत्रिक तरीके से चुने गए प्रतिनिधियों के माध्यम से ही अपनी आवाज़ बुलंद कर सकते हैं, लेकिन सरकार छात्रसंघ चुनावों को दरकिनार कर लोकतंत्र का गला घोंट रही है। अब सबकी नज़र सरकार की अगली रणनीति और छात्र संगठनों की संभावित सड़क की लड़ाई पर है। शिक्षा के मुद्दे पर खड़ा हुआ यह टकराव आने वाले दिनों में झारखंड की राजनीति को और गरमा सकता है।