रांची-
झारखंड में इस बार मानसून वरदान के बजाय आफत बनकर बरस रहा है। लगातार बारिश ने पूरे राज्य में हालात बिगाड़ दिए हैं। नदी-नालों से लगे निचले इलाकों में पानी भरने से लोगों का जीना मुहाल हो गया है। कई बड़े अपार्टमेंट्स के बेसमेंट जलमग्न हैं, जिससे मकान मालिक और किरायेदार दोनों परेशान हैं। विधानसभा में भी यह मुद्दा गूंजा, जहां जानकारी दी गई कि अतिवृष्टि के कारण सैकड़ों कच्चे मकान ढह चुके हैं। पलामू और गढ़वा जैसे जिलों में दलहन की फसल चौपट हो गई है। किसानों की महीनों की मेहनत पर पानी फिर गया है। उधर, ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में मौसमी बीमारियों का प्रकोप बढ़ रहा है। हाल यह है कि शायद ही कोई घर ऐसा हो जो डायरिया, वायरल फीवर या मलेरिया से अछूता हो। लोग धूप की एक किरण का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन मौसम विभाग ने अगले कुछ दिनों तक राहत की उम्मीद नहीं जताई है। 30 अगस्त को भारी बारिश की चेतावनी जारी की हैं। मौसम केंद्र, रांची ने साफ कर दिया है कि 30 अगस्त को राज्य के कई हिस्सों में हालात और बिगड़ सकते हैं। रांची, गुमला, बोकारो, हजारीबाग, खूंटी, रामगढ़, लोहरदगा, कोडरमा, धनबाद, पलामू, गढ़वा, चतरा और लातेहार जिलों के लिए येलो अलर्ट जारी किया गया है। इन क्षेत्रों में तेज हवाओं के झोंकों और वज्रपात के साथ भारी बारिश की आशंका है। 31
अगस्त से 2 सितंबर तक राज्य अलर्ट पर
अगस्त का अंतिम दिन भी भारी बारिश से राहत नहीं देगा। पूरे राज्य के लिए येलो अलर्ट जारी है। 31 अगस्त, 1 और 2 सितंबर को भी झारखंड में तेज हवाओं, बिजली गिरने और मूसलाधार बारिश का अंदेशा है। मौसम विभाग ने लोगों को सावधान रहने की सख्त हिदायत दी है। किसानों को खेतों में न जाने की सलाह दी गई है, वहीं आमजन से अपील की गई है कि पेड़ों या कच्चे मकानों के पास शरण न लें।
बारिश ने बिगाड़ा संतुलन
झारखंड में अब तक सामान्य से 29 प्रतिशत ज्यादा बारिश दर्ज की गई है। हालांकि कुछ सप्ताह पहले तक यह आंकड़ा सामान्य से 85 प्रतिशत ज्यादा था, लेकिन समय के साथ बारिश की गति थोड़ी धीमी पड़ी है। इसके बावजूद गांव से लेकर शहर तक हर तरफ हालात खराब हैं। शहरों में जलजमाव ने यातायात और जनजीवन ठप कर दिया है तो गांवों में मकानों के गिरने और फसलों के नष्ट होने से लोग बेहाल हैं। नवरात्र की तैयारियों पर भी बारिश की मार पड़ी है। पंडाल निर्माण की रफ्तार धीमी हो गई है और आयोजक मौसम की बेरुखी से परेशान हैं। झारखंडवासी अब बस यही प्रार्थना कर रहे हैं कि आसमान से बरस रही यह आफत थमे और एक बार फिर सूखे धूप भरे दिनों की वापसी हो।

