भगवती दुर्गा देवी व शरद ऋतु के स्वागत का संदेश देते काशी फूल
झारखंड न्यूज 24
बिंदापाथर
प्रियजीत पाण्डेय
काशी फूल को मां दुर्गा देवी भगवती का स्वागत पुष्प माना जाता है। शारदीय नवरात्र के पहले मां भवानी के स्वागत के लिए काशी फूल धरातल पर हरे चादर में सफेद कालीन की तरह बिछ जाते है। धरती मानो हरियाली में सफेदी को लिए इठला रही होती है। बिंदापाथर के ग्रामीण क्षेत्र पर काशी फूल को देख ब्याहता के मन में उत्साह का संचारः लोक कथाओं और परंपराओं में काशी फूल की मान्यता रही है। भादो के महीने में दूर खेत की मेड़ पर काशी के फूल देख ब्याहता को ऐसा आभास होता है। झारखंड की परंपरा संस्कृति में काशी फूल का जन्म से लेकर मरण तक की विधि-विधान में विशेष महत्व है काशी फुल को लेकर कई लोकगीत भी प्रचलित है। झारखंड की संस्कृति में प्रकृति का खास महत्व है, प्रकृति के प्रत्येक पेड़-पौधे और घास का विशेष महत्व रहा है। इसमें काशी फूल भी सभी को कभी आकर्षित करता है। कई फिल्मों में भी काशी फूल का मनोहारी दृश्य सभी को लुभाता है, हर क्षेत्र में इसका खास महत्व है। शुभ कार्य में काशी के पत्ते और फूल का उपयोग किया जाता है।
खेतों नदियों व नालों के किनारे उगे काशी फुल यही कहती है कि अब खेती खत्म हो गई अब दुर्गा पूजा की तैयारी शुरू करें। प्राचीन काल से अब तक प्राप्त प्रकृति का अपना नोटिस बोर्ड होता है यह भले ही आपको अंधविश्वास को बढ़ावा देने वाली बातें लगे लेकिन यह सौ टका सच है। प्रकृति समय-समय पर इसके जरिए मौसम की जानकारी देती रहती है। इसी प्रकृति का एक खास नोटिस बोर्ड काशी का फूल है। यह बरसात की समाप्ति का संकेत देता है वहीं खेती बारी के मौसम की समाप्ति का भी सूचक है, काशी के फूल का जिक्र रामायण में भी है काशी फूल सफेद रंग का होता है जो धान के खेतों में उगता है।
इसके अलावा नदी किनारे में भी उगते हैं जब काशी का फूल खिलते हैं तो खेत मानो ऐसा लगता है जैसा प्रकृति में सफेद चादर ओढ़ ली हो काशी घास की एक प्रजाति है जो मौसम बरसात की समाप्ति का सूचक माना जाता है काशी का जिक्र रामायण के किष्किंधा कांड में है इसके अलावा लोक कथाओं और परंपराओं में काशीपुर की मान्यता रही है काशी का फूल बरसा आधारित खेतों की समाप्ति की सूचना पुराने समय से ही ग्रामीण क्षेत्र में देता रहा है अमूमन भादो के अंत में खिलने वाला काशी के फूल भादो के प्रारंभ में ही खिल जाना घोर सुखाड़ का संकेत देता है ऐसा जानकारों का मानना है इसका समय पूर्व खिलना शुभ संकेत नहीं है बहरहाल काशी के फूल खिलने का एक और संकेत आता है वह मां दुर्गा के आगमन यानी मां दुर्गा पूजा आने का संकेत है जानकार लोग बताते हैं कि काशी के फूल खिलने के बाद वर्षा ऋतु का बुढ़ापा आ जाता है किसानों को भी पानी की आवश्यकता नहीं होती है किसान खेतों में उन हारी फसल के बीच डालने तथा धान के पौधों को गिरने से बचाने के लिए पितृपक्ष के बाद नवरात्रि पक्ष में खेतों का पानी खाली कर देता है और धान की फसल पक जाती है।

