जामताड़ा के गोकुला गांव में ऐतिहासिक जलसा दस्तारबंदी व इस्लाहे मुआशरा कॉन्फ्रेंस सम्पन्न
देशभर के उलेमा ने रखे विचार, कुरान-नमाज और तालीम को बताया समाज की तरक्की का रास्ता — 35 बच्चों की दस्तारबंदी, नात और दुआ से झूम उठा मजमा
जामताड़ा समीम अंसारी
जामताड़ा जिले के नारायणपुर प्रखंड अंतर्गत जगदीशपुर गोकुला गांव में इस्लामी तहज़ीब और तालीम को समर्पित एक भव्य और ऐतिहासिक जलसा दस्तारबंदी एवं इस्लाहे मुआशरा कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया। इस पवित्र कार्यक्रम में देश के अलग-अलग हिस्सों से आए मशहूर उलेमाओं ने शिरकत की और अपने विचार रखे। कार्यक्रम की शुरुआत कुरान पाक की तिलावत से हुई, जिससे पूरे माहौल में रूहानियत और पाकीज़गी का एहसास फैल गया।
जलसे की सदारत मौलाना हबीबुर्रहमान ने की, जबकि आयोजन की जिम्मेदारी मौलाना अब्बास कासमी ने बखूबी निभाई। मुख्य वक्ता के तौर पर मंच की शोभा बढ़ा रहे गुजरात से आए कारी अहमद अली ने अपने जोशीले और दिल को छू लेने वाले संबोधन में कहा आज के हालात में हमें किसी से डरने की जरूरत नहीं, जरूरत है तो दो घंटे का वक्त अल्लाह के लिए निकालने की। अगर हम रोज़ाना कुरान की तिलावत और पांच वक्त की नमाज़ पढ़ें, तो अल्लाह हमारी जान, माल और इज्ज़त की हिफाज़त फरमाएंगे।
कारी साहब ने आगे कहा कि “अल्लाह ने आठ जन्नत बनाई हैं और वह हर नेक अमल करने वाले को उसका इनाम देता है। आज मैं आपसे भीख मांगने आया हूं — अपने लिए नहीं, बल्कि आपकी तालीम और इमान के लिए।” उनका भाषण बार-बार ‘आमीन’ की गूंज के साथ स्वागत पाता रहा। विशिष्ट अतिथि और पूर्व सांसद फुरकान अंसारी ने कहा कि इस बार जलसे में पिछले वर्षों की तुलना में तीन गुना भीड़ उमड़ी है, जो इस कार्यक्रम की सफलता और लोगों के विश्वास का प्रतीक है। उन्होंने कहा की मैं आयोजकों को दिल से मुबारकबाद देता हूं।
इस बार का जलसा ऐतिहासिक रहा। सबसे खुशी की बात यह है कि लोग अपने बच्चों को तालीम देने में आगे बढ़ रहे हैं। तालीम के बिना कोई समाज तरक्की नहीं कर सकता। कार्यक्रम के दौरान मदरसा में शिक्षा प्राप्त कर रहे 35 बच्चों की दस्तारबंदी की गई। दस्तारबंदी का यह सिलसिला न सिर्फ उनके लिए सम्मान का क्षण था, बल्कि पूरे समुदाय के लिए गर्व और प्रेरणा का अवसर भी। यह प्रमाण है कि समाज अपनी आने वाली पीढ़ी को बेहतर तालीम देने के प्रति गंभीर और जागरूक है। मंच पर जब कारी जमशेद जोहर और अब्दुल बातिन फैजी ने नात पाक पेश की, तो माहौल में एक नई रूहानियत फैल गई।
हर शख्स झूम उठा और जलसे का रंग पूरी तरह दीनी रंग में रंग गया। जलसे का समापन दुआ के साथ हुआ, जिसमें पूरे मजलिस ने मिलकर अल्लाह से दुनिया और आख़िरत की सलामती, अमन और कामयाबी की दुआ की। मौलाना नईम कासमी, मौलाना अजीमुद्दीन, मौलाना अनवर, हाफिज नाजीर हुसैन, मौलाना सद्दाम, मास्टर मौला बॉक्स, फिरदौस अंसारी सहित कमेटी के दर्जनों जिम्मेदार लोग मंच पर मौजूद रहे।
यह जलसा ना केवल धार्मिक आस्थाओं को मजबूत करने वाला था, बल्कि इसने समाज को यह साफ संदेश दिया कि इमान और तालीम से ही एक समृद्ध, सुरक्षित और तरक्कीपसंद समाज की नींव रखी जा सकती है। जगदीशपुर गोकुला का यह आयोजन आने वाले समय में तालीम और दीनी समझदारी के लिए एक मिसाल बनेगा, ऐसा विश्वास हर शख्स के चेहरे पर झलकता दिखाई दिया।

