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झारखंड स्थापना दिवस को लेकर आईसेक्ट विश्वविद्यालय में किया गया पौधारोपण

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झारखंड स्थापना दिवस को लेकर आईसेक्ट विश्वविद्यालय में किया गया पौधारोपण

हजारीबाग

झारखंड राज्य के 25वें स्थापना दिवस के अवसर पर पूरे राज्य में रजत जयंती समारोह की धूम है। इसी कड़ी में आईसेक्ट विश्वविद्यालय, हजारीबाग में भी गुरुवार को आईक्युएसी के तत्वावधान में तथा एनएसएस इकाई के सहयोग से पौधारोपण कार्यक्रम संपन्न हुआ। इस मौके पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो पीके नायक, कुलसचिव डॉ मुनीष गोविंद, समकुलपति डॉ गौरव शुक्ला, छात्र कल्याण अधिष्ठाता डॉ एसआर रथ, वोकेशनल निदेशक डॉ बिनोद कुमार, उपकुलसचिव विजय कुमार एवं ललित मालवीय, एनएसएस समन्वयक डॉ प्रिति कुमारी सहित कई प्राध्यापक -प्रध्यापिकाएं, अधिकारियों व कर्मियों के अलावा विद्यार्थियों की उपस्थिति रही। कार्यक्रम की शुरुआत विश्वविद्यालय परिसर में सामूहिक रूप से पौधारोपण से हुई। एनएसएस स्वयंसेवकों और विद्यार्थियों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। इस दौरान कई प्रकार के फलदार और छायादार वृक्ष लगाए गए।

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इस मौके पर कुलपति प्रो पीके नायक ने कहा कि स्थापना दिवस केवल उत्सव नहीं, बल्कि आत्ममंथन और संकल्प का अवसर है। हमें यह प्रण लेना चाहिए कि हम शिक्षा और पर्यावरण दोनों क्षेत्रों में राज्य को नई दिशा देने में योगदान करेंगे। वहीं कुलसचिव डॉ मुनीष गोविंद ने कहा कि राज्य के रजत जयंती वर्ष में यह गर्व की बात है कि झारखंड ने शिक्षा, तकनीकी विकास और नवाचार के क्षेत्र में नई ऊंचाइयां हासिल की हैं। विश्वविद्यालय इन लक्ष्यों को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रहा है। पौधारोपण के माध्यम से हम पर्यावरण संतुलन बनाए रखने की दिशा में योगदान दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि स्थापना दिवस समारोह के इसी कड़ी में विद्यार्थियों के भाषण प्रतियोगिता, निबंध एवं चित्रकला प्रतियोगिता, रक्तदान शिविर सहित सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा। समकुलपति डॉ गौरव शुक्ला ने कहा कि आईसेक्ट विश्वविद्यालय ने हमेशा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के साथ सामाजिक उत्तरदायित्व निभाने की परंपरा कायम रखी है। यहां विद्यार्थियों को केवल अकादमिक ज्ञान ही नहीं, बल्कि जीवन मूल्यों, नैतिकता और समाज के प्रति संवेदनशील बनने की शिक्षा दी जाती है। आईसेक्ट विश्वविद्यालय प्रशासन ने यह संकल्प लिया कि झारखंड स्थापना दिवस की इस रजत जयंती वर्षगांठ पर विश्वविद्यालय परिसर को हरित परिसर के रूप में विकसित किया जाएगा, ताकि आने वाली पीढ़ियां स्वच्छ और स्वस्थ पर्यावरण में शिक्षा प्राप्त कर सकें।

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