सच्चे मन से नारायण का स्मरण करने से पाप से मुक्ति मिलती है: आदित्य पंडित महाराज
पोटका से सुरेश कुमार महापात्र की रिपोर्ट
पोटका प्रखंड अंतर्गत हरिना पंचायत के नारायणपुर गांव में चल रहे सात दिवसीय भागवत कथा यज्ञ के तृतीय दिवस के कथा में
वृंदावन से आए कथावाचक आदित्य पंडित महाराज ने भागवत प्रेमियों के समक्ष ध्रुव चरित्र, राजा पृथु का चरित्र , राजा पुरंजन की कथा, ऋषभदेव भारत का चरित्र, अजामिल का चरित्र, नरसिंह भगवान का अवतार प्रहलाद का चरित्र की कथा सुनाते हुए निष्ठा, कर्तव्य- परायणता, आत्मज्ञान, राजधर्म, शरणगति, वैराग्य, अनन्य भक्ति, धैर्य और परिश्रम का पाठ पढ़ाया।
उन्होंने बताया आज समाज में बच्चों का नाम सोना ,मोना,टिना आदि -आदि बेहूदा शब्द रख देतें हैं जबकि बच्चा का नामकरण भगवान के नाम पर करने से कम से कम संतान के नाम के बहाने तो भगवान का नाम लिया जा सकता है । ध्रुव चरित्र हमें यही सीख देती है।
आज वृंदावन धाम के परम पूजनीय महाराज के पावन सानिध्य में मोक्षदायिनी व जीवन धन्य कर देने वाली पतितपावनी तृतीय दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा का संचालन कोवाली निवासी शंकर मंडल व परिवार के द्वारा किया गया एवं कथा के अंत में प्रसाद का वितरण भालकी निवासी शिशिर मंडल, दीपक मंडल व समस्त मंडल परिवार के द्वारा किया गया।
सच्चे मन से नारायण का स्मरण करने से पाप से मुक्ति मिलती है: आदित्य पंडित महाराज
पोटका से सुरेश कुमार महापात्र की रिपोर्ट
पोटका प्रखंड अंतर्गत हरिना पंचायत के नारायणपुर गांव में चल रहे सात दिवसीय भागवत कथा यज्ञ के तृतीय दिवस के कथा में
वृंदावन से आए कथावाचक आदित्य पंडित महाराज ने भागवत प्रेमियों के समक्ष ध्रुव चरित्र, राजा पृथु का चरित्र , राजा पुरंजन की कथा, ऋषभदेव भारत का चरित्र, अजामिल का चरित्र, नरसिंह भगवान का अवतार प्रहलाद का चरित्र की कथा सुनाते हुए निष्ठा, कर्तव्य- परायणता, आत्मज्ञान, राजधर्म, शरणगति, वैराग्य, अनन्य भक्ति, धैर्य और परिश्रम का पाठ पढ़ाया।
उन्होंने बताया आज समाज में बच्चों का नाम सोना ,मोना,टिना आदि -आदि बेहूदा शब्द रख देतें हैं जबकि बच्चा का नामकरण भगवान के नाम पर करने से कम से कम संतान के नाम के बहाने तो भगवान का नाम लिया जा सकता है । ध्रुव चरित्र हमें यही सीख देती है।
आज वृंदावन धाम के परम पूजनीय महाराज के पावन सानिध्य में मोक्षदायिनी व जीवन धन्य कर देने वाली पतितपावनी तृतीय दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा का संचालन कोवाली निवासी शंकर मंडल व परिवार के द्वारा किया गया एवं कथा के अंत में प्रसाद का वितरण भालकी निवासी शिशिर मंडल, दीपक मंडल व समस्त मंडल परिवार के द्वारा किया गया।

