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वित रहित मोर्चा कल विधानसभा के सामने करेंगे विशाल महाधरना

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वित रहित मोर्चा कल विधानसभा के सामने करेंगे विशाल महाधरना

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75% अनुदान वृद्धि पर अभी तक कैबिनेट की सहमति नहीं मिलने, अनुदान की राशि सीधे संस्थाओं के खाते में भेजने, सावित्रीबाई फुले बालिका समृद्धि योजना की राशि अनुदानित स्कूलों कॉलेज को देने ,परीक्षा 2026 में पेन की अनिवार्यता के शर्त को 01 वर्ष की छूट देने, 21 विद्यालयों को जिनका अनुदान अवधि विस्तार के कारण रोका गया है. उसे अनुदान देने और राज्य कर्मी का दर्जा पर अभिलंब कार्यवाही की मुख्य मांग को लेकर मोर्चा कल दिनांक 09 दिसम्बर को विधानसभा के सामने विशाल महा धरना देगा। उक्त निर्णय मोर्चा में प्राचार्य/ प्रधानाचार्य एवं शिक्षक प्रतिनिधियों की बैठक में लिया गया था। महा धरना कल 10:00 बजे से शुरू होकर संध्या 4:00 बजे तक समाप्त होगी। महा धरना में राज्यभर के हजारों शिक्षक कर्मचारी भाग लेंगे। मोर्चा वित्तीय वर्ष 2025-26 के अनुदान प्रपत्र भी नहीं भरेगा। महा धरना के माध्यम से राज्य के वित्त रहित शिक्षक कर्मचारी के आवाहन करेंगे की जब तक 75% अनुदान वृद्धि के संलेख प्रस्ताव पर मंत्री परिषद की सहमति नहीं होगी तब तक राज्य के एक भी इंटर कॉलेज, उच्च विद्यालय, संस्कृत विद्यालय और मदरसा विद्यालय अनुदान प्रपत्र नहीं भरेंगे। मोर्चा के नेताओं का कहना है कि महंगाई को देखते हुए संबद्ध डिग्री कॉलेज का अनुदान 75% बढ़ा दिया गया।

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वित्तीय वर्ष 2024 -25 में 75% का लाभ संबद्ध डिग्री के शिक्षक कर्मचारियों को मिल गया। लेकिन वित रहित स्कूल, इंटर कॉलेज को संलेख प्रस्ताव पर वित्त विभाग, विधि विभाग की सहमति के बाद भी कैबिनेट की सहमति के लिए रोका गया है। मोर्चा के नेताओं कुंदन कुमार सिंह, रघुनाथ सिंह, अरविंद सिंह, मनीष कुमार , फजलूल कदीर अहमद और गणेश महतो ने मुख्यमंत्री से स्कूल कॉलेज के 75% अनुदान वृद्धि के संलेख को अभिलंब मंगाकर कैबिनेट की सहमति लेने की मांग किए हैं। इन नेताओं ने कहा है कि 2015 में दोगुना अनुदान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पहल से ही मिला था। इन नेताओं ने जल्द ही मुख्यमंत्री से मिलने के लिए समय लेंगे। कल का महा धरना एक दिवसीय होगा। और महा धरना में ही आगे के आंदोलन के रणनीति तय होगी।
मोर्चा के देवनाथ सिंह, नरोत्तम सिंह ,चंदेश्वर पाठक, रघु विश्वकर्मा और मनोज तिर्की ने एक बयान जारी कर कहा है कि अगर 75% पर अविलम्ब निर्णय नहीं लिया गया तो शिक्षकों के सामने भुखमरी की स्थिति आ जाएगी।
इन नेताओं ने कहा है कि जब वित्त ने सहमति दे दिया है तो फिर विमर्श के नाम पर कैबिनेट की सहमति के लिए फ़ाईल को रोकना शिक्षकों के साथ अन्याय है। ये शिक्षक राज्य के लगभग चार लाख छात्रों को पढ़ाते हैं। जिसमें अधिकांश देहाती क्षेत्र के बच्चे हैं और गरीब परिवार से आते हैं। महा धरना के बाद मोर्चा मुख्यमंत्री को मांगों से संबंधित ज्ञापन देगा।
उक्त बातों की जानकारी प्रेस को मोर्चा की ओर से मनीष कुमार ने दिया है।

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