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बरही की पेयजल संकट को लेकर विधानसभा में उठा मुद्दा, विधायक मनोज यादव ने लंबित जलापूर्ति योजना पर सदन का कराया ध्यानाकर्षण

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बरही की पेयजल संकट को लेकर विधानसभा में उठा मुद्दा, विधायक मनोज यादव ने लंबित जलापूर्ति योजना पर सदन का कराया ध्यानाकर्षण

तिलैया डैम से जलापूर्ति योजना अब तक अधूरी, जल्द होगा निर्माण कार्य पूरा

बरही

बरही के लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने का गंभीर मुद्दा झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान उठा। बरही विधायक मनोज कुमार यादव ने सदन में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव लाते हुए बरही प्रखंड के लिए वर्षों से लंबित तिलैया डैम जलापूर्ति योजना को अविलंब पूर्ण कराने की मांग की। विधायक श्री यादव ने सदन को अवगत कराया कि तिलैया डैम से बरही क्षेत्र में शुद्ध पेयजल आपूर्ति की योजना विगत 15 वर्षों से राज्य सरकार के समक्ष विचाराधीन है, लेकिन आज तक यह योजना धरातल पर पूरी नहीं हो पाई है। इसके कारण क्षेत्र के हजारों निवासियों को आज भी स्वच्छ पेयजल से वंचित रहना पड़ रहा है। विशेषकर गर्मी के मौसम में हालात अत्यंत गंभीर हो जाते हैं और पेयजल के लिए हाहाकार मच जाता है। उन्होंने कहा कि बजट आवंटन और योजना के अधूरे क्रियान्वयन के कारण अब तक इस बहुप्रतीक्षित योजना का लाभ आम जनता को नहीं मिल सका है। ऐसे में व्यापक लोकहित को देखते हुए सदन के माध्यम से सरकार से आग्रह किया गया कि उक्त जलापूर्ति योजना के शेष कार्यों को शीघ्र पूरा कराया जाए। ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर जवाब देते हुए माननीय पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के मंत्री ने योजना से जुड़े तथ्यों को सदन के समक्ष रखा। उन्होंने बताया कि बरही ग्रामीण जलापूर्ति योजना का क्रियान्वयन वित्तीय वर्ष 2007-08 में सीएसआर (कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी) के तहत दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) द्वारा कराया जाना था।

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योजना को तीन चरणों में पूरा किया जाना प्रस्तावित था। प्रथम चरण में 05 एमएलडी क्षमता के डब्लूटीपी का निर्माण, द्वितीय चरण में इनटेक वेल, राइजिंग मेन एवं डिस्ट्रीब्यूशन मेन का कार्य तथा तृतीय चरण में इलेक्ट्रिकल सबस्टेशन एवं पावर सप्लाई का निर्माण शामिल था। वर्ष 2009 में डीवीसी द्वारा 05 एमएलडी क्षमता के डब्लूटीपी के निर्माण का कार्यादेश जारी किया गया, लेकिन लगभग 65 प्रतिशत कार्य होने के बाद कार्यकारी एजेंसी द्वारा काम बंद कर दिया गया। वर्ष 2012 में डीवीसी ने योजना के शेष अवयवों के क्रियान्वयन के लिए पेयजल एवं स्वच्छता विभाग से अनुरोध किया। इसके बाद आसपास के कुछ अतिरिक्त गांवों को शामिल करते हुए डीवीसी और विभाग द्वारा संयुक्त रूप से योजना को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया गया। मंत्री ने बताया कि वर्ष 2013 में योजना के पुनर्गठन हेतु कुल 17.24 करोड़ रुपये की प्रशासनिक स्वीकृति दी गई थी, जिसमें पेयजल एवं स्वच्छता विभाग का अंशदान 7.83 करोड़ रुपये तथा डीवीसी का अंशदान 9.41 करोड़ रुपये निर्धारित किया गया था। डीवीसी द्वारा केवल 6 करोड़ रुपये ही उपलब्ध कराए गए, जबकि शेष 3.41 करोड़ रुपये अब तक प्राप्त नहीं हो सके। राशि के अभाव में बार-बार पत्राचार के बावजूद कार्य आगे नहीं बढ़ पाया। इसके बाद विभागीय स्तर पर यह निर्णय लिया गया कि बचे हुए कार्य विभाग स्वयं पूर्ण कराएगा। योजना का लगभग 60 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है, जबकि 40 प्रतिशत कार्य शेष है। मंत्री ने सदन को जानकारी दी कि दिनांक 09 अक्तूबर 2023 को योजना के लिए पुनरीक्षित प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान की गई है। इसके तहत कुल लागत 27.61 करोड़ रुपये निर्धारित की गई है, जिसमें पूर्व स्वीकृति की तुलना में लगभग 10.37 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि पर व्यय की मंजूरी दी गई है।

*विधानसभा में आवाज उठने के बाद जनता को उम्मीद :*

विधानसभा में यह मुद्दा उठने के बाद बरही क्षेत्र के लोगों में यह उम्मीद जगी है कि वर्षों से लंबित तिलैया डैम जलापूर्ति योजना अब जल्द पूरी होगी और क्षेत्रवासियों को शुद्ध पेयजल की सुविधा मिल सकेगी। स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि यह योजना पूरी हो जाती है, तो बरही प्रखंड की सबसे बड़ी समस्या का समाधान हो जाएगा।

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