झारखंड विधानसभा में पंचायत सहायकों की बदहाल स्थिति पर उठा बड़ा मुद्दा, विश्रामपुर विधायक नरेश प्रसाद सिंह ने की सम्मानजनक प्रोत्साहन राशि व बीमा सुविधा की मांग
रांची
झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र में बुधवार को पंचायत सहायकों की आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा से जुड़ा महत्वपूर्ण मुद्दा जोरदार तरीके से उठाया गया। विश्रामपुर विधानसभा क्षेत्र के विधायक नरेश प्रसाद सिंह ने इस मुद्दे पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए पंचायत सहायकों की वर्तमान स्थिति को अत्यंत दयनीय बताया। उन्होंने सदन में कहा कि झारखंड के पंचायत सहायकों को आज भी मात्र ₹2500 प्रतिमाह की प्रोत्साहन राशि मिलती है, जिसमें किसी परिवार का भरण-पोषण कर पाना लगभग असंभव है। विधायक ने कहा कि पंचायत सहायक पिछले 10 वर्षों से पंचायत व्यवस्था की रीढ़ बनकर कार्य कर रहे हैं। गांवों में सरकारी योजनाओं का क्रियान्वयन, जनसुविधाओं की निगरानी, दस्तावेजों का प्रबंधन, और पंचायत कार्यों में सहयोग इन सभी में पंचायत सहायकों की अहम भूमिका रहती है, लेकिन उन्हें उनके श्रम के अनुरूप सम्मानजनक पारिश्रमिक नहीं दिया जा रहा है।
विधायक ने सदन में यह भी कहा कि पंचायत सहायकों के सामने सबसे बड़ी चुनौती तब आती है जब वे या उनका परिवार बीमारी या दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं। इतनी कम प्रोत्साहन राशि में उपचार कराना संभव नहीं है, और राज्य की ओर से उनके लिए किसी प्रकार की आर्थिक सहायता या बीमा सुविधा उपलब्ध नहीं है। यह स्थिति चिंता का गंभीर विषय है, जिस पर तुरंत पहल की आवश्यकता है। विधायक नरेश प्रसाद सिंह ने मांग की कि पंचायत सहायकों की प्रोत्साहन राशि में सम्मानजनक वृद्धि की जाए, ताकि वे आर्थिक रूप से सशक्त हो सकें। साथ ही, बीमारी और दुर्घटना की स्थिति में उन्हें निःशुल्क उपचार की सुविधा तथा उनके आश्रितों के लिए समुचित बीमा व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। ज्ञात हो कि पंचायत में जमीनी स्तर पर सरकार की योजनाओं को सफल बनाने में पंचायत सहायकों की भूमिका केंद्रीय है। सत्र के दौरान उठाई गई यह मांग पंचायत सहायकों के लिए एक नई उम्मीद के रूप में देखी जा रही है। यदि सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठाती है, तो झारखंड के हजारों पंचायत सहायकों को आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा का बड़ा सहारा मिल सकेगा।

