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दुर्गा पूजा से पहले बामनडांगा-तुंडु चाय बागान बंद, 1200 मजदूरों की रोज़ी-रोटी पर संकट

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जलपाईगुड़ी (पश्चिम बंगाल)-

दुर्गा पूजा से ठीक पहले डुआर्स के नागराकाटा क्षेत्र में स्थित बामनडांगा-तुंडु चाय बागान अचानक बंद हो गया है। इस बंदी से लगभग 1200 चाय मजदूरों की रोज़ी-रोटी संकट में आ गई है। बागान के मालिक पहले ही क्षेत्र छोड़कर जा चुके हैं, जबकि कारखाने में कच्ची चाय पत्तियां अभी भी पड़ी हुई हैं।मजदूरों ने पिछले कई दिनों से बकाया वेतन की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन किया था। बीते गुरुवार को मजदूरों ने प्रबंधक को कार से उतारकर लगभग छह किलोमीटर पैदल चलवाया और बामनडांगा फैक्ट्री में घेराव कर विरोध जताया। बातचीत में तय हुआ था कि शुक्रवार तक बकाया वेतन दिया जाएगा, लेकिन उससे पहले ही बागान बंद कर दिया गया। मजदूर अनीता ओरांव ने कहा, आज हमें वेतन मिलना था, लेकिन जब हम पहुंचे तो मालिक बागान छोड़कर चले गए। वहीं, अनीशा ओरांव ने बताया, कल भी हम वेतन लेने आए थे लेकिन खाली हाथ लौटे। आज फिर आए तो देखा बागान बंद हो चुका है। हमारा बकाया वेतन तुरंत दिया जाए और बागान खोला जाए। मालिकों ने कहा कि मजदूरों द्वारा प्रबंधक के साथ दुर्व्यवहार किए जाने के कारण उन्हें बागान छोड़ना पड़ा। मजदूरों ने सड़क पर बैठकर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है। यह पहली बार नहीं है जब डुआर्स क्षेत्र में मजदूरों को ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ा है। जुलाई में बनरहाट अंबरी चाय बागान भी अचानक बंद हो गया था, जिससे लगभग 2000 मजदूर बेरोजगार हो गए थे। राज्य सरकार ने पिछले साल नवंबर में एक नई स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) लागू की थी, ताकि अचानक बागान बंद होने की स्थिति में मजदूरों को अन्य प्रबंधकों के हवाले बागान सौंपने की प्रक्रिया से राहत मिल सके। लेकिन बामनडांगा-तुंडु बागान की हालिया बंदी ने इस व्यवस्था की कमजोरियों और मजदूरों की दुर्दशा को फिर उजागर कर दिया है। अब यह देखने वाली बात होगी कि राज्य सरकार इस संकटग्रस्त बागान को पुनः चलाने और मजदूरों को राहत देने के लिए क्या कदम उठाती है।

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राज्य प्रमुख
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हंसराज चौरसिया स्वतंत्र स्तंभकार और पत्रकार हैं, जो 2017 से सक्रिय रूप से पत्रकारिता में कार्यरत हैं। उन्होंने अपनी शुरुआत स्वतंत्र प्रभात से की और वर्तमान में झारखंड दर्शन, खबर मन्त्र, स्वतंत्र प्रभात, अमर भास्कर, झारखंड न्यूज़24 और क्राफ्ट समाचार में स्वतंत्र लेखन कर रहे हैं। साथ ही झारखंड न्यूज़24 में राज्य प्रमुख की जिम्मेदारी भी निभा रहे हैं। रांची विश्वविद्यालय से हिंदी साहित्य में स्नातकोत्तर (2024–26) कर रहे हंसराज का मानना है कि पत्रकारिता केवल पेशा नहीं, बल्कि समाज की आवाज़ को व्यवस्था तक पहुंचाने का सार्वजनिक दायित्व है। उन्होंने राजनीतिक संवाद और मीडिया प्रचार में भी अनुभव हासिल किया है। हजारीबाग ज़िले के बरगड्डा गाँव से आने वाले हंसराज वर्तमान में रांची में रहते हैं और लगातार सामाजिक न्याय, लोकतांत्रिक विमर्श और जन मुद्दों पर लिख रहे हैं।
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