नई दिल्ली-
सेन्ट्रल डेस्क-
भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ी उपलब्धि के रूप में माने जा रहे कदम के तहत भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर डॉ. उर्जित पटेल को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) का कार्यकारी निदेशक नियुक्त किया गया है। केंद्र सरकार ने उनकी नियुक्ति को मंज़ूरी दे दी है। यह कार्यकाल तीन वर्षों के लिए होगा, जिसके दौरान डॉ. पटेल वैश्विक आर्थिक मंच पर भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे।डॉ. उर्जित पटेल ने वर्ष 2016 में आरबीआई के 24वें गवर्नर के रूप में कार्यभार संभाला था। उनके कार्यकाल के दौरान ही देश में नोटबंदी का ऐतिहासिक निर्णय लागू हुआ, जिसने भारतीय अर्थव्यवस्था और वित्तीय व्यवस्था पर गहरा प्रभाव डाला। यह निर्णय उर्जित पटेल की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिशों पर आधारित था। हालांकि दिसंबर 2018 में उन्होंने व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए गवर्नर पद से इस्तीफा दे दिया था। वे 1992 के बाद सबसे कम कार्यकाल वाले आरबीआई गवर्नर रहे। महंगाई नियंत्रण के क्षेत्र में उनका योगदान उल्लेखनीय रहा। उन्होंने मुद्रास्फीति लक्ष्य को 4 प्रतिशत पर तय करने का प्रस्ताव दिया था, जिसे बाद में औपचारिक रूप से अपनाया गया। यह नीति भारतीय मौद्रिक ढांचे को नई दिशा देने वाली साबित हुई।
आरबीआई गवर्नर बनने से पूर्व डॉ. पटेल डिप्टी गवर्नर के पद पर रहे, जहां उन्होंने मौद्रिक नीति, आर्थिक अनुसंधान, सांख्यिकी, सूचना प्रबंधन और संचार जैसे महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी संभाली। उनका अंतरराष्ट्रीय अनुभव भी व्यापक रहा है। 1990 के दशक में उन्होंने वाशिंगटन डीसी और नई दिल्ली में IMF प्रतिनिधि के रूप में सेवाएं दीं। इसके अलावा 1998 से 2001 तक वे वित्त मंत्रालय में सलाहकार भी रहे।कॉरपोरेट क्षेत्र में भी उनका अनुभव महत्वपूर्ण है। वे रिलायंस इंडस्ट्रीज, आईडीएफसी लिमिटेड, एमसीएक्स और गुजरात राज्य पेट्रोलियम निगम जैसी कंपनियों में अहम पदों पर कार्य कर चुके हैं। शैक्षणिक पृष्ठभूमि की बात करें तो डॉ. पटेल येल विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में पीएचडी, ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से एम.फिल और लंदन विश्वविद्यालय से बी.एससी. की डिग्री प्राप्त कर चुके हैं।