मिथिला सांस्कृतिक परिषद्, बोकारो द्वारा मणिपद्म जयंती सह मैथिली कवि सम्मेलन का भव्य आयोजन
पप्पू वर्मा, बोकारो
बोकारो : बोकारो में मैथिली भाषा-भाषियों की लब्ध प्रतिष्ठित संस्था मिथिला सांस्कृतिक परिषद् की ओर से साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित मैथिली भाषा के प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. ब्रजकिशोर वर्मा ‘मणिपद्म’ स्मृति जयंती समारोह सह मैथिली कवि सम्मेलन का भव्य आयोजन शनिवार की देर शाम सेक्टर 4 ई स्थित मिथिला एकेडमी पब्लिक स्कूल परिसर के विद्यापति सभागार में हुआ। समारोह का उद्घाटन मुख्य अतिथि मिथिला एकेडमी पब्लिक के अध्यक्ष राजेंद्र कुमार, मिथिला सांस्कृतिक परिषद् के अध्यक्ष जय प्रकाश चौधरी, महासचिव नीरज चौधरी, सांस्कृतिक कार्यक्रम निदेशक अरुण पाठक, वित्त सचिव मिहिर मोहन ठाकुर, मिथिला एकेडमी पब्लिक स्कूल के उपाध्यक्ष बटोही कुमार, आमंत्रित कविगण आदि ने दीप प्रज्ज्वलित कर तथा मणिपद्म की तस्वीर पर माल्यार्पण व पुष्पार्चन कर किया। अपने स्वागत भाषण में परिषद् के महासचिव नीरज चौधरी ने मैथिली साहित्य को समृद्ध बनाने में मणिपद्म जी के अवदानों पर प्रकाश डाला।
मुख्य अतिथि राजेंद्र कुमार ने मणिपद्म के उपन्यास नैका बनिजारा के कथानक पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उनकी रचनाएं सामाजिक सरोकार से ओतप्रोत हैं। इसके लिए वर्ष 1973 में उन्हें प्रतिष्ठित साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्होंने बताया कि मिथिला सांस्कृतिक परिषद मणिपद्म जयंती पर वर्ष 1990 से लगातार साहित्यिक कार्यक्रमों का आयोजन कर रहा है। इस क्रम में मुख्य अतिथि राजेंद्र कुमार को परिषद के अध्यक्ष जे पी चौधरी, महासचिव नीरज चौधरी व सांस्कृतिक कार्यक्रम निर्देशक अरुण पाठक ने पाग, शॉल व पुष्प गुच्छ भेंटकर सम्मानित किया।
इस अवसर पर मैथिली महाकाव्य ऊं महाभारत के रचयिता बुद्धिनाथ झा ने मणिपद्म के व्यक्तित्व व कृतित्व पर विस्तृत रूप से प्रकाश डालते हुए उन्हें बहुआयामी विशिष्ट साहित्यकार के रूप में याद किया। वरिष्ठ साहित्यकार विजय शंकर मल्लिक ने अपनी एक मैथिली कविता के माध्यम से मणिपद्म को याद किया- ओ मणिपद्म कहां आब पाबी, जिनकर गुण अद्यहुं सभ गाबी। कवयित्री शैलजा झा ने कहा कि मणिपद्म भावी पीढ़ी व समाज के लिए एक ध्रुवतारा की तरह हैं जो हमेशा आने वाले समय में भी मार्गदर्शन करते रहेंगे। अरुण पाठक ने कहा कि मणिपद्म ने अपनी रचनाओं में लोकगाथाओं को जिस तरह से उद्धृत किया है, वह अद्भुत है। श्रवण कुमार झा व मंच का संचालन कर रहे शंभु झा ने भी मणिपद्म को महान साहित्यकार व विशिष्ट व्यक्तित्व के रूप में याद किया।
दूसरे सत्र में वरिष्ठ साहित्यकार बुद्धिनाथ झा की अध्यक्षता में आयोजित मैथिली कवि सम्मेलन में कवि-कवयित्रियों ने मानवीय संवेदनाओं से ओत-प्रोत विभिन्न रस की कविताएं व गीत सुनाकर देर शाम तक श्रोताओं को आनंदित किया। राजीव कंठ ने सभ सं पैघ काज, नीलम झा ने ई धरा के शान मिथिला, थिक हमर पहिचान मिथिला, विनय दरिहरे ने मणिपद्म जी की एक कविता, शैलजा झा ने उपेक्षित स्वरक पुकार व प्रतीक्षा, अरुण पाठक ने बिहारक गौरव गाथा व सद्भावना गीत जाति धर्म के नाम पर नहि बांटू इंसान के…, विजय शंकर मल्लिक ने मैथिली कविता, बुद्धिनाथ झा ने अकुलाहटि सुनाकर सबकी प्रशंसा पायी। मंच संचालन शंभु झा व धन्यवाद ज्ञापन परिषद के सांस्कृतिक कार्यक्रम निर्देशक अरुण पाठक ने किया।
इस अवसर पर मिथिला महिला समिति की अध्यक्ष पूनम मिश्रा, परिषद के अविनाश अवि, मिहिर झा राजू, सुदीप कुमार ठाकुर, गोविन्द कुमार झा, अमन कुमार झा, डॉ राम नारायण सिंह, ए के मिश्र, विजय कुमार मिश्र ‘अंजु’, विश्व नाथ झा, दुर्गा नंद झा, नवीन कुमार झा, किरण झा, अजय कुमार ठाकुर, गणेश झा, बाल शेखर झा, मनोज झा, शंकर सिंह, अरविंद कुमार मिश्र, विनय किशोर, मनोज कुमार झा, विश्वनाथ गोस्वामी आदि उपस्थित रहे।

