श्रीलंका के अंतर्राष्ट्रीय मंच पर चमके हजारीबाग के रोहित हाज़रा
तरंग ग्रुप के सदस्य ने शोधपत्र प्रस्तुत कर झारखंड की सांस्कृतिक धरोहर को दिलाई वैश्विक पहचान
हजारीबाग
तरंग ग्रुप हजारीबाग के सदस्य रोहित हाज़रा ने श्रीलंका में आयोजित 5वें अंतर्राष्ट्रीय अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर सम्मेलन में अपना शोधपत्र प्रस्तुत कर न केवल संस्था बल्कि पूरे प्रदेश का नाम रोशन किया है। 19 और 20 सितम्बर को श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में संपन्न इस सम्मेलन का मुख्य विषय था— “भूत और भविष्य के बीच सेतु : बदलते समय में अमूर्त धरोहर की भूमिका। इस प्रतिष्ठित सम्मेलन का आयोजन श्री जयवर्धनेपुरा विश्वविद्यालय के मानवविज्ञान विभाग और सार्क सांस्कृतिक केंद्र, श्रीलंका के संयुक्त तत्वावधान में हुआ। सम्मेलन की अध्यक्षता डॉ. थारका आनंदा ने की जबकि डॉ. नेलुम कंथिलथा सम्मेलन सचिव रहीं। रोहित हाज़रा ने डॉ. प्रियंका शर्मा के मार्गदर्शन में तैयार शोध “थारू समुदाय के सांस्कृतिक जीवन पर सामा-चकेवा लोक प्रदर्शन के प्रभाव” पर अपना शोधपत्र प्रस्तुत किया। उनके शोध को विशेष सराहना मिली और अंतर्राष्ट्रीय मंच से उन्हें प्रमाणपत्र भी प्रदान किया गया।
इस सम्मेलन में फिलिपींस, पोलैंड, नेपाल, बांग्लादेश, जापान, थाईलैंड, इंडोनेशिया, पाकिस्तान, सिंगापुर और कंबोडिया समेत कई देशों के शोधार्थियों ने अपने शोध प्रस्तुत किए। तरंग ग्रुप के सचिव अमित कुमार गुप्ता ने कहा कि रोहित की उपलब्धि से झारखंड और तरंग ग्रुप के सभी सदस्य गर्व महसूस कर रहे हैं। वे शुरू से ही प्रतिभाशाली कलाकार और शोधकर्ता रहे हैं। उन्होंने नेट और जेआरएफ की परीक्षाएँ पास की हैं और हाल ही में पांडिचेरी विश्वविद्यालय में शोध के लिए उनका चयन हुआ है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रकार के आयोजन दक्षिण एशियाई देशों के बीच सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण, अध्ययन और संवर्धन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। रोहित हाज़रा की यह सफलता न केवल उनकी मेहनत का परिणाम है बल्कि झारखंड की युवा प्रतिभाओं और लोक-सांस्कृतिक धरोहर को अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाने वाली ऐतिहासिक उपलब्धि भी है।

