स्वस्थ जीवनशैली और आधुनिक जीवन के बीच का संघर्ष आज हमारे समाज की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक बन गया है। तेजी से बदलते जीवन के रफ्तार में हम अक्सर अपनी सेहत को अनदेखा कर देते हैं, और परिणामस्वरूप मोटापा, डायबिटीज, हृदय रोग जैसे गंभीर रोग हमारे जीवन में घुसपैठ कर लेते हैं। यह केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य का मुद्दा नहीं है, बल्कि सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से भी चिंता का विषय बन गया है। हर दिन डॉक्टरों के पास आने वाले मरीजों में बड़ी संख्या उन बीमारियों से पीड़ित रहती है, जो सीधे तौर पर जीवनशैली से जुड़ी होती हैं। इस स्थिति ने हमें यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या हमारी जीवनशैली हमें रोगमुक्त रहने में मदद कर रही है या हमें धीरे-धीरे अपनी ही गतिविधियों का शिकार बना रही है। मोटापा आज एक ऐसी वैश्विक महामारी बन चुका है, जो न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी गहरा प्रभाव डालता है। लंबे समय तक अनुचित खानपान और शारीरिक निष्क्रियता का परिणाम केवल शरीर के आकार में बदलाव ही नहीं होता, बल्कि यह डायबिटीज और हृदय रोग जैसी बीमारियों के जोखिम को भी बढ़ा देता है। इंसुलिन प्रतिरोध, उच्च रक्तचाप, उच्च कोलेस्ट्रॉल स्तर और हृदय की धड़कनों में असामान्यता ये सभी मोटापे के प्रत्यक्ष परिणाम हैं। यही कारण है कि विशेषज्ञ आज हर उम्र के लोगों को अपनी जीवनशैली पर गंभीरता से ध्यान देने की सलाह दे रहे हैं। डायबिटीज, जिसे आमतौर पर मधुमेह के नाम से जाना जाता है, आज शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में तेजी से फैल रहा है। यह केवल शर्करा के स्तर की समस्या नहीं है, बल्कि यह पूरे शरीर की कार्यप्रणाली को प्रभावित करता है। लगातार अधिक मीठा खाने, फास्ट फूड का सेवन, शारीरिक गतिविधियों की कमी और तनाव डायबिटीज के मुख्य कारण बन रहे हैं। जीवनशैली में बदलाव न किए जाने पर यह रोग आंखों, किडनी, हृदय और नसों तक को प्रभावित कर सकता है। यही कारण है कि डायबिटीज केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य की समस्या नहीं रहकर समाज और अर्थव्यवस्था पर भी भारी बोझ बन जाती है। हृदय रोगों की बढ़ती संख्या भी आधुनिक जीवनशैली का प्रत्यक्ष परिणाम है। लंबे समय तक बैठने की आदत, उच्च वसा युक्त भोजन, अत्यधिक तली-भुनी चीजों का सेवन और मानसिक तनाव हृदय को कमजोर कर देते हैं। हृदय की बीमारियां धीरे-धीरे शरीर में स्थिरता खोने का कारण बनती हैं और कभी-कभी अचानक हमे चेतावनी के बिना ही गंभीर स्थिति में ला देती हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि हृदय रोग केवल उम्रदराज लोगों की समस्या नहीं है; युवा भी आज इन रोगों से पीड़ित हो रहे हैं, और इसका मुख्य कारण अनुचित जीवनशैली है।ऐसे में योग और व्यायाम का महत्व अत्यधिक बढ़ जाता है। शारीरिक गतिविधि केवल वजन नियंत्रित करने तक सीमित नहीं है; यह शरीर के हृदय, फेफड़े, मांसपेशियों और मानसिक स्वास्थ्य सभी पर सकारात्मक प्रभाव डालती है। योग, प्राणायाम और ध्यान न केवल तनाव को कम करते हैं, बल्कि शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाते हैं। नियमित व्यायाम और संतुलित खानपान के माध्यम से हम न केवल मोटापे और डायबिटीज से बच सकते हैं, बल्कि हृदय रोगों का जोखिम भी कम कर सकते हैं। आधुनिक खानपान की आदतें भी स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डालती हैं। उच्च कैलोरी, चीनी और नमक से भरपूर भोजन का अत्यधिक सेवन आज के समय में एक सामान्य समस्या बन गया है। इसके विपरीत, ताजे फल, सब्जियां, साबुत अनाज और प्रोटीन युक्त भोजन स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी हैं। साथ ही, जलयोजन पर ध्यान देना और भोजन में संतुलन बनाए रखना भी अनिवार्य है। केवल भोजन की मात्रा ही नहीं, बल्कि उसका समय और विविधता भी स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण हैं। जीवनशैली में बदलाव केवल शारीरिक स्वास्थ्य तक ही सीमित नहीं रह जाता, यह मानसिक और सामाजिक स्वास्थ्य पर भी गहरा असर डालता है। पर्याप्त नींद, तनाव प्रबंधन, सामाजिक संपर्क और सकारात्मक सोच का पालन जीवनशैली के अनिवार्य अंग बन गए हैं। जब हम अपने जीवन में संतुलन और अनुशासन लाते हैं, तो हमारी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और हम बीमारियों से दूर रहते हैं। समाज के स्तर पर भी जागरूकता की आवश्यकता है। केवल व्यक्तिगत प्रयास ही पर्याप्त नहीं हैं परिवार, स्कूल, कार्यस्थल और सरकारी स्वास्थ्य कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों को स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करना जरूरी है।
डॉ साकेत कुमार पाठक ज्योतिषाचार्य एवं शिक्षाविद ग्राम+पत्रालय -खम्भवा, टाटीझरिया, हज़ारीबाग चलभाष-7992410277
बच्चों को छोटी उम्र से ही संतुलित भोजन, नियमित व्यायाम और योग के महत्व की शिक्षा देना उनकी भविष्य की स्वास्थ्य स्थिति को सुरक्षित करता है।अंततः स्वस्थ जीवनशैली अपनाने का संदेश स्पष्ट है: हमें अपने खानपान, शारीरिक गतिविधियों और मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना होगा। मोटापा, डायबिटीज और हृदय रोग केवल शरीर की समस्या नहीं हैं; ये संकेत हैं कि हमारी जीवनशैली हमें रोगों की ओर ले जा रही है। योग, व्यायाम और संतुलित खानपान ही हमारी रक्षा कर सकते हैं। यदि हम आज अपने जीवन में छोटे-छोटे बदलाव लाते हैं, तो भविष्य में गंभीर रोगों का सामना करने की संभावना कम हो सकती है। यही आधुनिक जीवन की चुनौती और समाधान दोनों का सार है। स्वस्थ जीवनशैली केवल व्यक्तिगत जिम्मेदारी नहीं, बल्कि समाज और परिवार के लिए भी एक सकारात्मक उदाहरण बन सकती है। समय रहते सावधान रहकर, व्यायाम, योग और संतुलित आहार को अपने जीवन में शामिल करके हम न केवल अपने स्वास्थ्य को सुरक्षित कर सकते हैं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी स्वस्थ और सक्रिय जीवन जीने की प्रेरणा दे सकते हैं। जीवन की गुणवत्ता और दीर्घायु का मूल मंत्र यही है कि हम आज अपनी आदतों और जीवनशैली के प्रति सचेत रहें, क्योंकि स्वास्थ्य ही जीवन की असली पूंजी है।
हंसराज चौरसिया स्वतंत्र स्तंभकार और पत्रकार हैं, जो 2017 से सक्रिय रूप से पत्रकारिता में कार्यरत हैं। उन्होंने अपनी शुरुआत स्वतंत्र प्रभात से की और वर्तमान में झारखंड दर्शन, खबर मन्त्र, स्वतंत्र प्रभात, अमर भास्कर, झारखंड न्यूज़24 और क्राफ्ट समाचार में स्वतंत्र लेखन कर रहे हैं। साथ ही झारखंड न्यूज़24 में राज्य प्रमुख की जिम्मेदारी भी निभा रहे हैं। रांची विश्वविद्यालय से हिंदी साहित्य में स्नातकोत्तर (2024–26) कर रहे हंसराज का मानना है कि पत्रकारिता केवल पेशा नहीं, बल्कि समाज की आवाज़ को व्यवस्था तक पहुंचाने का सार्वजनिक दायित्व है। उन्होंने राजनीतिक संवाद और मीडिया प्रचार में भी अनुभव हासिल किया है। हजारीबाग ज़िले के बरगड्डा गाँव से आने वाले हंसराज वर्तमान में रांची में रहते हैं और लगातार सामाजिक न्याय, लोकतांत्रिक विमर्श और जन मुद्दों पर लिख रहे हैं।