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स्वच्छ जल न मिले तो स्वास्थ्य संकट भी बढ़ेगा

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स्वास्थ्य-

भारत, जिसकी मिट्टी सदियों से जीवन और संघर्ष की कहानियों का साक्षी रही है, आज एक ऐसे संकट का सामना कर रहा है जो हमारे अस्तित्व के सबसे मौलिक तत्व—पानी से जुड़ा है। स्वच्छ पानी की कमी केवल पीने की समस्या नहीं है, यह हमारे स्वास्थ्य, समाज और विकास की नींव को हिला रही है। दूषित पानी से होने वाले संक्रमण और वायरल बीमारियाँ अब केवल आंकड़ों में नहीं बल्कि हमारे गांव, शहर और गलियों में वास्तविक जीवन के रूप में दिखाई दे रही हैं। देश के अनेक हिस्सों में जल संकट अब दूर की चिंता नहीं रह गया। ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में लोग पानी के लिए संघर्ष कर रहे हैं। नदियों, तालाबों और नालों में घुले औद्योगिक अपशिष्ट और गंदगी का पानी पीने पर मजबूर होना, मानव स्वास्थ्य पर छाया खतरे को बढ़ा देता है। पेट और जलजनित बीमारियों के साथ-साथ वायरल संक्रमण भी तेजी से फैल रहे हैं। डेंगू, वायरल हीपेटाइटिस, नॉरवायरस और कोरोना जैसी महामारी ने स्पष्ट कर दिया है कि स्वच्छ जल की कमी सीधे स्वास्थ्य संकट की चेतावनी है। स्वच्छ जल और वायरल बीमारियों का संबंध केवल स्वास्थ्य आंकड़ों तक सीमित नहीं है। यह हमारी सामाजिक संवेदनशीलता, प्रशासनिक तत्परता और जीवन शैली पर भी प्रश्नचिह्न लगाता है। छोटे गाँवों में जब लोग नदी या तालाब के दूषित जल पर निर्भर होते हैं, तो बच्चों और बुजुर्गों पर इसका प्रभाव सबसे अधिक दिखाई देता है। छोटे बच्चे डायरिया और पेट की अन्य बीमारियों से पीड़ित होते हैं, जबकि बुजुर्गों की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होने के कारण वायरल संक्रमण उन्हें तेजी से घेर लेता है।स्वास्थ्य विशेषज्ञ बार-बार चेतावनी दे रहे हैं कि यदि जल संकट और इसके दुष्प्रभावों को नजरअंदाज किया गया, तो यह केवल स्थानीय समस्या नहीं रहेगी, बल्कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य आपदा का रूप ले सकती है। अस्पतालों में रोगियों की बढ़ती संख्या, चिकित्सकीय संसाधनों की कमी और दवा पर दबाव इस बात का संकेत है कि अब समय रहते सतर्कता और ठोस कदम उठाना अनिवार्य है।स्वच्छ पानी की कमी और वायरल बीमारियों से निपटने के लिए उपचार और रोकथाम के उपाय अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। संक्रमण होने पर तुरंत चिकित्सक से परामर्श लेना जीवनरक्षक हो सकता है। शरीर को हाइड्रेटेड रखना, इलेक्ट्रोलाइट्स का सेवन, और आराम से स्वास्थ्य लाभ संभव होता है। पानी को उबालकर पीना, फिल्टर का उपयोग और सुरक्षित जल भंडारण सीधे संक्रमण के खतरे को कम करता है। लेकिन व्यक्तिगत उपाय पर्याप्त नहीं हैं।

    डॉ साकेत कुमार पाठक ज्योतिषाचार्य एवं शिक्षाविद ग्राम+पत्रालय -खम्भवा, टाटीझरिया, हज़ारीबाग चलभाष-7992410277डॉ साकेत कुमार पाठक
    ज्योतिषाचार्य एवं शिक्षाविद
    ग्राम+पत्रालय -खम्भवा, टाटीझरिया, हज़ारीबाग
    चलभाष-7992410277

प्रशासन और सरकार को भी जल स्रोतों की सुरक्षा, शोधन संयंत्रों का विस्तार और जल वितरण प्रणाली में सुधार करना होगा। गंदे पानी के रिसाइक्लिंग प्रोजेक्ट्स, ग्रामीण क्षेत्रों में तालाबों और कुओँ की सफाई, और शहरों में पाइपलाइन नेटवर्क का व्यवस्थित रखरखाव संक्रमण की श्रृंखला को तोड़ सकता है। स्वच्छता और हाइजीन की शिक्षा, विशेषकर बच्चों और महिलाओं तक पहुँचाना, समाज में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करता है। स्वच्छ जल की कमी केवल स्वास्थ्य का मामला नहीं है, बल्कि यह सामाजिक और नैतिक चुनौती भी है। जब कोई व्यक्ति अपने मूलभूत अधिकार स्वच्छ पानी से वंचित रहता है, तो समाज की संरचना प्रभावित होती है। यह असमानता बच्चों की शिक्षा, महिलाओं की सुरक्षा और समुदाय की समग्र विकास क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है। गंदे जल से होने वाले संक्रमण गरीब और वंचित वर्ग को सबसे अधिक प्रभावित करते हैं, जिससे सामाजिक विषमता और बढ़ती है। वायरल बीमारियों का तेजी से फैलना इस बात का संकेत है कि हमारे स्वास्थ्य ढांचे और जल प्रबंधन प्रणाली में गंभीर अंतराल हैं। स्वच्छ जल की कमी और संक्रमित जल के संपर्क में आने से इम्यून सिस्टम कमजोर होता है और रोग तेजी से फैलते हैं। इसलिए केवल व्यक्तिगत उपचार पर निर्भर रहने के बजाय व्यापक सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है। हर नागरिक को जल सुरक्षा, स्वच्छता और संक्रमण रोकने के उपायों की जानकारी होना चाहिए। समय की मांग है कि हम सामूहिक प्रयास करें। जल स्रोतों का संरक्षण, दूषित जल का उपचार, ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में पाइपलाइन नेटवर्क का सुधार और जल शिक्षा पर जोर—यह सब जरूरी है। नागरिकों को भी जिम्मेदारी समझनी होगी। पानी की बर्बादी रोकना, जल स्रोतों की सफाई बनाए रखना और संक्रमण से बचाव के प्रति सजग रहना अब हर व्यक्ति का कर्तव्य है। स्वच्छ जल की उपलब्धता जीवन की गुणवत्ता और स्वास्थ्य का आधार है। जब पानी शुद्ध होगा, तभी वायरल बीमारियों का खतरा कम होगा और लोग स्वस्थ रहेंगे। स्वस्थ जीवन ही देश की वास्तविक प्रगति और विकास का परिचायक है। स्वच्छ जल की कमी और वायरल संक्रमण के खतरे को न केवल स्वास्थ्य संकट के रूप में बल्कि सामाजिक और नैतिक चुनौती के रूप में भी स्वीकार करना होगा। भारत आज स्वास्थ्य आपदा के दरवाजे पर खड़ा है। यदि हम समय रहते स्वच्छ जल की समस्या को हल नहीं करते, तो आने वाले वर्षों में यह केवल स्थानीय या मौसमी समस्या नहीं रहेगी। यह पूरे राष्ट्र की सुरक्षा, स्वास्थ्य और विकास को प्रभावित करेगी। अब आवश्यकता है कि जल सुरक्षा, स्वच्छता और वायरल संक्रमण के खतरे के प्रति जागरूकता को प्राथमिकता दी जाए। प्रत्येक व्यक्ति, समुदाय और प्रशासनिक इकाई को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि हर नागरिक को उसका मौलिक अधिकार स्वच्छ और सुरक्षित पानी मिले। समाप्त करते हुए कहा जा सकता है कि स्वच्छ जल और स्वास्थ्य की रक्षा अब किसी विकल्प का विषय नहीं है। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपने देश को स्वस्थ और सुरक्षित बनाएँ। केवल तभी हम एक ऐसे भारत की कल्पना कर सकते हैं, जहाँ प्रत्येक व्यक्ति की ज़िंदगी सुरक्षित, स्वास्थ्यपूर्ण और उन्नत हो। जब पानी शुद्ध होगा, जीवन स्वस्थ होगा, और देश प्रगति के मार्ग पर मजबूती से आगे बढ़ेगा।

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राज्य प्रमुख
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हंसराज चौरसिया स्वतंत्र स्तंभकार और पत्रकार हैं, जो 2017 से सक्रिय रूप से पत्रकारिता में कार्यरत हैं। उन्होंने अपनी शुरुआत स्वतंत्र प्रभात से की और वर्तमान में झारखंड दर्शन, खबर मन्त्र, स्वतंत्र प्रभात, अमर भास्कर, झारखंड न्यूज़24 और क्राफ्ट समाचार में स्वतंत्र लेखन कर रहे हैं। साथ ही झारखंड न्यूज़24 में राज्य प्रमुख की जिम्मेदारी भी निभा रहे हैं। रांची विश्वविद्यालय से हिंदी साहित्य में स्नातकोत्तर (2024–26) कर रहे हंसराज का मानना है कि पत्रकारिता केवल पेशा नहीं, बल्कि समाज की आवाज़ को व्यवस्था तक पहुंचाने का सार्वजनिक दायित्व है। उन्होंने राजनीतिक संवाद और मीडिया प्रचार में भी अनुभव हासिल किया है। हजारीबाग ज़िले के बरगड्डा गाँव से आने वाले हंसराज वर्तमान में रांची में रहते हैं और लगातार सामाजिक न्याय, लोकतांत्रिक विमर्श और जन मुद्दों पर लिख रहे हैं।
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