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www.jhnews24.com का शुभारंभ, समाचार अब एक क्लिक पर

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संपादकीय-

झारखंड की पत्रकारिता का इतिहास हमेशा से संघर्ष और जिम्मेदारी से भरा रहा है। यह राज्य अपने भीतर जितनी सांस्कृतिक विविधता, प्राकृतिक संसाधनों की समृद्धि और सामाजिक-राजनीतिक चुनौतियाँ समेटे हुए है, उतना ही इसकी मीडिया दुनिया भी हमेशा अलग नजर आई है। अख़बारों और चैनलों के बीच खबरें हमेशा आईं-जाईं, लेकिन उनमें से अधिकांश राजधानी रांची या बड़े शहरों तक सिमट कर रह गईं। गांव, जंगल और उन आदिवासी बस्तियों की कहानियाँ, जहां असली झारखंड सांस लेता है, अक्सर उपेक्षित रह जाती हैं। ऐसे में झारखंड न्यूज़24 की नई वेबसाइट www.jhnews24.com का शुभारंभ केवल तकनीकी बदलाव नहीं है, यह उन आवाज़ों को केंद्र में लाने का प्रयास है, जिन्हें वर्षों से हाशिए पर रखा गया है। आज का समय सूचना क्रांति का है। इंटरनेट और मोबाइल के युग में खबरें अब केवल अख़बार के पन्नों या टीवी चैनलों की स्क्रीन तक सीमित नहीं रह गईं। सोशल मीडिया ने सूचना का लोकतंत्रीकरण किया है, लेकिन इसके साथ ही सबसे बड़ी चुनौती यह पैदा हुई है कि खबर और अफवाह में फर्क मिटने लगा है। हर किसी के हाथ में मोबाइल कैमरा है और हर कोई पत्रकार जैसा दिखने लगा है, लेकिन पत्रकारिता का जो असली धर्म है सत्य और जिम्मेदारी। वह अक्सर गायब होता जा रहा है। ऐसे में जब झारखंड न्यूज़24 अपनी नई वेबसाइट लेकर सामने आता है, तो उससे यह अपेक्षा बढ़ जाती है कि यह मंच केवल तात्कालिक चमक-दमक का हिस्सा नहीं बनेगा, बल्कि असली खबरों और सार्थक पत्रकारिता का वाहक बनेगा। झारखंड जैसे राज्य में पत्रकारिता की जिम्मेदारी और भी बड़ी हो जाती है। यहां का भूगोल कठिन है, गांव दूर-दराज़ फैले हुए हैं, जहां तक मुख्यधारा का मीडिया बहुत कम पहुंच पाता है। वहां के लोगों की पीड़ा, उनकी रोज़मर्रा की जद्दोजहद, उनकी खुशियाँ और उनकी संस्कृति अक्सर खबरों के दायरे से बाहर रह जाती है। जब मीडिया किसी समाज के बड़े हिस्से को नजरअंदाज करता है, तो लोकतंत्र अधूरा रह जाता है। इसलिए झारखंड न्यूज़24 की यह नई वेबसाइट लोकतंत्र के उस अधूरे हिस्से को पूरा करने का अवसर है।

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डॉ साकेत कुमार पाठक
शिक्षाविद

यह प्लेटफॉर्म आदिवासी समाज की बोली-बानी को सामने ला सकता है, किसानों की दुश्वारियों को उजागर कर सकता है, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे संकटग्रस्त क्षेत्रों की गहराई में जा सकता है और यह दिखा सकता है कि झारखंड केवल खनिज संपदा का भंडार नहीं है, बल्कि संघर्ष और सपनों से भरी हुई ज़िंदगियों का प्रदेश है। डिजिटल पत्रकारिता के इस युग में तकनीक अब खबर का सबसे अहम हिस्सा बन चुकी है। केवल लेख और तस्वीरें काफी नहीं हैं, पाठक अब वीडियो, लाइव अपडेट और पॉडकास्ट की अपेक्षा करता है। यह अपेक्षा केवल सुविधा की नहीं बल्कि पारदर्शिता की भी है। जब पाठक देखता है कि रिपोर्टर किसी गांव की टूटी हुई सड़क पर चलकर लाइव रिपोर्टिंग कर रहा है, तो उसका भरोसा भी बढ़ता है। यही भरोसा पत्रकारिता की सबसे बड़ी पूंजी है। नई वेबसाइट www.jhnews24.com के लॉन्च से झारखंड न्यूज़24 को यही अवसर मिलेगा कि वह तकनीक और पत्रकारिता का ऐसा संगम पेश करे, जिसमें खबर केवल सूचना न होकर एक अनुभव बने, जिसमें पाठक, श्रोता और दर्शक तीनों एक साथ जुड़ सकें। मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है, लेकिन यह स्तंभ तभी मजबूत रहेगा जब यह सत्ता और पूंजी के दबाव से मुक्त रहेगा। झारखंड में अक्सर देखा गया है कि मीडिया या तो राजनीतिक खेमों में बंट जाता है या फिर कॉरपोरेट हितों के आगे झुक जाता है। इससे जनता का भरोसा टूटता है। लोकतंत्र की बुनियाद ही तब डगमगाने लगती है जब जनता को लगता है कि उसकी आवाज़ दबा दी गई है। झारखंड न्यूज़24 की नई वेबसाइट को इस चुनौती का सामना करना होगा। इसे यह साबित करना होगा कि पत्रकारिता आज भी निष्पक्ष हो सकती है, यह आज भी जनता की सबसे बड़ी ताक़त है और यह आज भी अन्याय और असमानता के खिलाफ खड़ी हो सकती है। यह वेबसाइट आने वाले समय में केवल खबरों का माध्यम न रहे, बल्कि एक वैचारिक आंदोलन का हिस्सा बने, यही अपेक्षा है। यह मंच उन युवाओं को आवाज़ दे, जो बेरोजगारी से जूझ रहे हैं, उन महिलाओं को उजागर करे, जो शिक्षा और सुरक्षा की लड़ाई लड़ रही हैं, उन किसानों को मंच दे, जिनकी जमीन खनन परियोजनाओं में चली जाती है, और उन आदिवासी समुदायों को सम्मान दे, जिनकी संस्कृति बार-बार विकास के नाम पर मिटा दी जाती है। जब यह सब होगा तभी यह वेबसाइट अपनी असली पहचान बनाएगी।भविष्य आसान नहीं है। डिजिटल मीडिया की दुनिया में प्रतिस्पर्धा तीव्र है। हर मिनट सैकड़ों खबरें सामने आती हैं और हर सेकंड सोशल मीडिया पर लाखों संदेश दौड़ते हैं। ऐसे में पहचान बनाने का रास्ता केवल सटीकता और गहराई से होकर ही जाता है। अगर खबरें सतही होंगी, केवल सनसनी फैलाने के लिए होंगी, तो यह मंच भी भीड़ में खो जाएगा। लेकिन अगर खबरें ठोस होंगी, विश्लेषण गहरा होगा और प्रस्तुति पारदर्शी होगी, तो यही मंच झारखंड की असली पहचान बन जाएगा।झारखंड न्यूज़24 की नई वेबसाइट www.jhnews24.com का यह शुभारंभ एक नए अध्याय की शुरुआत है। यह अध्याय केवल डिजिटल पत्रकारिता का नहीं बल्कि उस लोकतांत्रिक चेतना का है, जो हर नागरिक के अधिकार और उसकी आवाज़ से जुड़ी है। यह मंच अगर सही दिशा में चले, तो यह न केवल झारखंड की पत्रकारिता को नई ऊंचाई देगा, बल्कि पूरे देश में यह संदेश भी देगा कि स्थानीय आवाज़ें भी वैश्विक स्तर पर गूंज सकती हैं। आज जब यह वेबसाइट अपनी नई यात्रा शुरू कर रही है, तो यह केवल एक मीडिया संस्थान की उपलब्धि नहीं है। यह झारखंड की जनता की जीत है, उनकी उस आकांक्षा की जीत है जो चाहती है कि उसकी बात सुनी जाए। यह उन पत्रकारों की जीत है, जो कठिन हालात में भी सच्चाई की खोज में लगे रहते हैं। और यह लोकतंत्र की भी जीत है, क्योंकि लोकतंत्र तभी मजबूत होता है जब उसकी आवाज़ें बिना किसी डर और दबाव के गूंज सकें। इस लॉन्च के साथ ही उम्मीद यह है कि झारखंड न्यूज़24 की नई वेबसाइट आने वाले समय में पत्रकारिता का वह मानक बनेगी, जिसे आने वाली पीढ़ियाँ भी एक मिसाल की तरह देखेंगी। यह यात्रा लंबी है, रास्ते कठिन हैं, लेकिन लक्ष्य साफ है—सत्य, निष्पक्षता और जनता की आवाज़। यही पत्रकारिता की आत्मा है और यही इस नई शुरुआत का संदेश भी।

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राज्य प्रमुख
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हंसराज चौरसिया स्वतंत्र स्तंभकार और पत्रकार हैं, जो 2017 से सक्रिय रूप से पत्रकारिता में कार्यरत हैं। उन्होंने अपनी शुरुआत स्वतंत्र प्रभात से की और वर्तमान में झारखंड दर्शन, खबर मन्त्र, स्वतंत्र प्रभात, अमर भास्कर, झारखंड न्यूज़24 और क्राफ्ट समाचार में स्वतंत्र लेखन कर रहे हैं। साथ ही झारखंड न्यूज़24 में राज्य प्रमुख की जिम्मेदारी भी निभा रहे हैं। रांची विश्वविद्यालय से हिंदी साहित्य में स्नातकोत्तर (2024–26) कर रहे हंसराज का मानना है कि पत्रकारिता केवल पेशा नहीं, बल्कि समाज की आवाज़ को व्यवस्था तक पहुंचाने का सार्वजनिक दायित्व है। उन्होंने राजनीतिक संवाद और मीडिया प्रचार में भी अनुभव हासिल किया है। हजारीबाग ज़िले के बरगड्डा गाँव से आने वाले हंसराज वर्तमान में रांची में रहते हैं और लगातार सामाजिक न्याय, लोकतांत्रिक विमर्श और जन मुद्दों पर लिख रहे हैं।
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