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स्थायी खेल आयोजन के लिए ग्रीन स्टेडियम्स की आवश्यकता

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खेल-

मारे देश और विश्व में खेल केवल मनोरंजन का साधन नहीं रह गए हैं यह सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण हो गए हैं। खेल आयोजन न केवल खेल प्रेमियों के लिए उत्सव का अवसर होते हैं, बल्कि ये बड़े पैमाने पर निवेश, पर्यटन, और स्थानीय विकास का भी माध्यम बनते हैं। परंतु, इन आयोजनों का प्रभाव केवल उत्सव और रोमांच तक सीमित नहीं रहता; इसका असर हमारे पर्यावरण और संसाधनों पर भी पड़ता है। ऐसे में स्थायी खेल आयोजन और ग्रीन स्टेडियम्स की आवश्यकता अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है। पारंपरिक खेल आयोजन अक्सर बड़ी ऊर्जा, पानी और संसाधनों की खपत करते हैं। एक बड़े खेल आयोजन के लिए स्टेडियम, आवास, परिवहन और सुविधाओं के निर्माण में अपार मात्रा में ऊर्जा और कच्चे माल की आवश्यकता होती है। इससे न केवल कार्बन उत्सर्जन बढ़ता है, बल्कि स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र पर भी दबाव पड़ता है। बड़े स्टेडियमों के निर्माण में जंगलों की कटाई, मिट्टी का अपर्याप्त उपयोग, और जल स्रोतों पर दबाव जैसी समस्याएं आम हो जाती हैं। ऐसे परिदृश्य में स्थायी और पर्यावरण-अनुकूल डिज़ाइन के स्टेडियमों का निर्माण आवश्यक हो जाता है। ग्रीन स्टेडियम्स का विचार केवल इमारतों को पर्यावरण अनुकूल बनाने तक सीमित नहीं है। यह सोच पूरे खेल आयोजन को सतत और जिम्मेदार बनाने की दिशा में है। ऐसे स्टेडियमों में ऊर्जा की खपत कम करने के लिए सौर पैनल, वर्षा जल संचयन, प्राकृतिक वेंटिलेशन और ऊर्जा बचाने वाली तकनीकों का उपयोग किया जाता है। पानी की बचत और पुनःचक्रण की व्यवस्था, कचरा प्रबंधन, और हरित निर्माण सामग्री का उपयोग इसे वास्तव में पर्यावरण-अनुकूल बनाता है। उदाहरण स्वरूप, यूरोप और अमेरिका के कुछ प्रमुख स्टेडियमों ने सौर ऊर्जा और वर्षा जल संचयन के माध्यम से अपनी ऊर्जा और पानी की जरूरतों का एक बड़ा हिस्सा पूरा कर लिया है। स्थायी खेल आयोजन का अर्थ केवल स्थायी स्टेडियमों तक ही सीमित नहीं है। यह आयोजन के सभी पहलुओं को जिम्मेदार बनाता है। खेल आयोजकों को परिवहन, भोजन, आवास और दर्शकों की सुविधाओं में भी पर्यावरणीय दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। उदाहरण स्वरूप, दर्शकों के लिए सार्वजनिक परिवहन या इलेक्ट्रिक वाहनों की सुविधा, स्थानीय और मौसमी खाद्य सामग्री का उपयोग, और कचरे को न्यूनतम करने की रणनीतियाँ स्थायी आयोजन का हिस्सा हो सकती हैं। इससे न केवल पर्यावरण पर दबाव कम होता है, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था और समुदायों को भी लाभ मिलता है। स्थायी खेल आयोजन का सामाजिक महत्व भी कम नहीं है। जब आयोजक और दर्शक पर्यावरण और सामाजिक जिम्मेदारी को महत्व देते हैं, तो यह समाज में जागरूकता बढ़ाता है। युवा पीढ़ी इस संदेश को ग्रहण करती है कि विकास और मनोरंजन के साथ-साथ पर्यावरण की रक्षा भी जरूरी है। खेल के माध्यम से यह शिक्षा बहुत प्रभावशाली ढंग से दी जा सकती है। बच्चे और युवा खेल आयोजनों में भाग लेकर या उन्हें देखकर सीखते हैं कि संसाधनों का जिम्मेदार उपयोग और हरित तकनीकों को अपनाना केवल पर्यावरण की सुरक्षा नहीं, बल्कि जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने का भी साधन है। इसके अलावा, स्थायी खेल आयोजन आर्थिक दृष्टि से भी फायदेमंद हैं। भले ही प्रारंभिक निवेश थोड़ा अधिक हो, परंतु लंबे समय में ऊर्जा, पानी और कचरा प्रबंधन में लागत कम होने के कारण ये निवेश लाभकारी साबित होते हैं। ग्रीन स्टेडियम्स न केवल संचालन लागत कम करते हैं, बल्कि ये अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजनों के लिए एक सकारात्मक संदेश भी देते हैं। जब कोई देश या शहर स्थायी और पर्यावरण-अनुकूल खेल आयोजन करता है, तो यह वैश्विक स्तर पर उसकी छवि को मजबूत करता है और पर्यटन तथा निवेश को आकर्षित करता है। आज के समय में जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण संकट ने खेल आयोजनों के महत्व को और बढ़ा दिया है। केवल मनोरंजन और प्रतियोगिता के लिए बड़े पैमाने पर संसाधनों का उपयोग करना अब अस्वीकार्य हो गया है। इसलिए यह आवश्यक है कि खेल आयोजकों, सरकारी संस्थाओं और स्थानीय समुदायों के बीच सहयोग हो। स्थायी खेल आयोजन की दिशा में नीतियाँ बनाना, नई तकनीकों को अपनाना, और हर स्टेडियम में पर्यावरण-अनुकूल तकनीकों का अनिवार्य रूप से प्रयोग करना चाहिए।

    अमित कुमारमित कुमा
    स्तंभकार

भारत जैसे देश में, जहाँ तेजी से शहरीकरण और जनसंख्या वृद्धि हो रही है, स्थायी खेल आयोजन की आवश्यकता और भी बढ़ जाती है। हमारे पास ऐतिहासिक रूप से बड़ी संख्या में खेल प्रेमी हैं और युवा वर्ग भी काफी है। ऐसे में यदि हम पर्यावरणीय दृष्टि से जिम्मेदार खेल आयोजन करें, तो यह न केवल खेल संस्कृति को बढ़ावा देगा, बल्कि हमारे प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा भी करेगा। देश में विकसित हो रहे स्टेडियमों में ग्रीन तकनीकों का उपयोग करके हम एक मॉडल स्थापित कर सकते हैं, जिसे अन्य देशों और शहरों के लिए उदाहरण माना जा सकता है। इसके अतिरिक्त, स्थायी खेल आयोजन स्थानीय रोजगार और कौशल विकास के लिए भी अवसर पैदा करता है। जब हरित निर्माण सामग्री, ऊर्जा बचत उपकरण, और कचरा प्रबंधन तकनीकें अपनाई जाती हैं, तो स्थानीय कारीगर, तकनीशियन और पर्यावरण विशेषज्ञ इनसे लाभान्वित होते हैं। इस प्रकार स्थायी खेल आयोजन केवल पर्यावरणीय दृष्टि से ही नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से भी लाभकारी होता है। अंततः, ग्रीन स्टेडियम्स और स्थायी खेल आयोजन का संदेश स्पष्ट है खेल केवल मनोरंजन और प्रतियोगिता का माध्यम नहीं हैं ये हमारे समाज, अर्थव्यवस्था और पर्यावरण के साथ गहरे जुड़े हैं। यदि हम भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक सुरक्षित, स्वच्छ और स्थायी वातावरण छोड़ना चाहते हैं, तो खेल आयोजनों में पर्यावरणीय जिम्मेदारी को प्राथमिकता देना अनिवार्य है। स्थायी और ग्रीन स्टेडियम्स के माध्यम से हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि खेल का उत्सव न केवल रोमांचक और मनोरंजक हो, बल्कि हमारे प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करते हुए दीर्घकालीन लाभ भी प्रदान करे। इसलिए यह समय है कि खेल आयोजक, नीति निर्माता और समाज मिलकर एक ऐसी दिशा तय करें, जिसमें हर खेल आयोजन स्थायी, हर स्टेडियम हरित, और हर खिलाड़ी और दर्शक जिम्मेदार बनें। यही आधुनिक खेल की वास्तविक गरिमा है, यही खेलों के माध्यम से समाज को एक स्वस्थ, स्वच्छ और सतत भविष्य की ओर ले जाने का मार्ग है।

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राज्य प्रमुख
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हंसराज चौरसिया स्वतंत्र स्तंभकार और पत्रकार हैं, जो 2017 से सक्रिय रूप से पत्रकारिता में कार्यरत हैं। उन्होंने अपनी शुरुआत स्वतंत्र प्रभात से की और वर्तमान में झारखंड दर्शन, खबर मन्त्र, स्वतंत्र प्रभात, अमर भास्कर, झारखंड न्यूज़24 और क्राफ्ट समाचार में स्वतंत्र लेखन कर रहे हैं। साथ ही झारखंड न्यूज़24 में राज्य प्रमुख की जिम्मेदारी भी निभा रहे हैं। रांची विश्वविद्यालय से हिंदी साहित्य में स्नातकोत्तर (2024–26) कर रहे हंसराज का मानना है कि पत्रकारिता केवल पेशा नहीं, बल्कि समाज की आवाज़ को व्यवस्था तक पहुंचाने का सार्वजनिक दायित्व है। उन्होंने राजनीतिक संवाद और मीडिया प्रचार में भी अनुभव हासिल किया है। हजारीबाग ज़िले के बरगड्डा गाँव से आने वाले हंसराज वर्तमान में रांची में रहते हैं और लगातार सामाजिक न्याय, लोकतांत्रिक विमर्श और जन मुद्दों पर लिख रहे हैं।
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