बुलंद हौसले से हारी ग़रीबी व लाचारी दिव्यांग संदीप दास बना श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी
रिजल्ट प्रकाशन के दिन ही दिव्यांग बहन की हुई मौत, आंखों में ग़म की आंसु के साथ छलके ख़ुशी की आंसु
झारखण्ड न्यूज24 बरकट्ठा
जया अहमद
बरकट्ठा। मंजिल उन्हीं को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है। इस कहावत को चरितार्थ कर दिखाया है बरकट्ठा डीह निवासी संदीप कुमार दास ने जो दोनों पैरों और हाथों से दिव्यांग होने के बावजूद भी गरीबी और लाचारी को कामयाबी में बदल दिया। अंतिम रूप से श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी बनकर माता पिता व क्षेत्र का नाम रौशन किया है। पिता अर्जुन रविदास पेशे से राज मिस्त्री हैं। संदीप ने सामाजिक के तानों को झेलकर अपना लक्ष्य नहीं छोड़ा और अंततः जेएसएससी सीजीएल में श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी बनकर बता दिया कि सपनों पर विश्वास और मेहनत से कोई भी मंज़िल दूर नहीं। लेकिन किस्मत ने उसी दिन एक बड़ा दर्द भी दे दिया रिज़ल्ट प्रकाशित के दिन ही उनकी दिव्यांग बहन की मौत हो गई। एक तरफ जहां आंखों में ग़म के आंसु थे तो वहीं दूसरी ओर आखों से खुशी की आंसु छलक पड़े। संदीप की प्रारंभिक शिक्षा मध्य विद्यालय बरकट्ठा, माध्यमिक शिक्षा हाई स्कूल बरकट्ठा, बारहवीं संत कोलंबस कालेज व ग्रेजुएशन की पढ़ाई घर बैठे इग्नू से पूरा किया। उन्होंने बताया कि सीजीएल की तैयारी वह घर पर रहकर की है।

