विजय शंकर नायक ने राधाकृष्ण किशोर के पत्र को बताया राजनीतिक नौटंकी
कहा – दलित दर्द नहीं, गठबंधन सरकार की विफलता छिपाने का प्रयास
रांची
आदिवासी मूलवासी जनाधिकार मंच के केंद्रीय उपाध्यक्ष सह पूर्व विधायक प्रत्याशी विजय शंकर नायक ने वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर द्वारा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को लिखे पत्र को राजनीतिक ढोंग और पाखंड बताया है। उन्होंने कहा कि यह पत्र दलित समाज के दर्द का नहीं, बल्कि कांग्रेस-झामुमो गठबंधन सरकार की विफलता को छिपाने का प्रयास है। नायक ने कहा कि हेमंत सरकार की दलित-विरोधी नीतियाँ अब खुलकर सामने आ गई हैं। कैबिनेट में मौन रहने वाले लोग अब मीडिया में सुर्खियों के लिए पत्र लिख रहे हैं। उन्होंने राधाकृष्ण किशोर पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि “दलितों के खून से सनी रोटियाँ सेंकने का यह कुत्सित खेल है। उन्होंने कहा कि झामुमो-कांग्रेस सरकार में पांच साल से अनुसूचित जाति आयोग का गठन नहीं हुआ, जबकि भाजपा शासन में बना आयोग केवल “कागजी शेर” था। दोनों ही सरकारों ने दलितों को अधिकारों से वंचित किया है — आरक्षण रिक्त छोड़ा, योजनाओं में भ्रष्टाचार किया और गरीबों को भूख व बेरोजगारी में झोंक दिया। नायक ने दलित समाज की जमीनी स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा कि झारखंड में हरिजन, चर्मकार, भुईयां, मुसहर जैसी 22 उपजातियाँ अब भी भूमिहीन और मजदूर जीवन जीने को मजबूर हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार में भी भेदभाव चरम पर है। उन्होंने कहा कि सरकार भूमि सुधार और सुपोषण अभियान जैसे कार्यक्रमों को केवल कागजी औपचारिकता बना चुकी है, जबकि राज्य में दलित बच्चों में कुपोषण की स्थिति भयावह है। नायक ने वित्त मंत्री से इस्तीफे की मांग करते हुए कहा कि हेमंत सरकार तुरंत एससी आयोग का गठन करे और 5000 करोड़ रुपये का विशेष दलित पैकेज जारी करे, अन्यथा राज्यव्यापी आंदोलन होगा। साथ ही भाजपा से भी उन्होंने दलितों के प्रति अपने काले इतिहास के लिए माफी मांगने की अपील की।

