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रिनपास ने शताब्दी वर्ष में रखा कदम, स्मारक डाक टिकट जारी

हंसराज चौरसिया
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रांची-

कांके स्थित रांची तंत्रिका मनोचिकित्सा एवं संबद्ध विज्ञान संस्थान (रिनपास) अपने शताब्दी वर्ष में प्रवेश कर चुका है। इस ऐतिहासिक अवसर पर 4 से 6 सितंबर तक जेई धुंजीभॉय अकादमिक एंड रिसर्च सेंटर में स्थापना दिवस समारोह का आयोजन किया जा रहा है। समारोह के प्रथम दिन डाक विभाग की ओर से रिनपास की विरासत को समर्पित एक विशेष स्मारक डाक टिकट जारी किया गया। रिनपास की यात्रा दो सौ से अधिक वर्षों पुरानी है। इसकी नींव वर्ष 1795 में मुंगेर में एक लूनैटिक असायलम के रूप में पड़ी थी। 1821 में यह पटना कॉलेजिएट में स्थानांतरित हुआ और 1925 में नामकुम होते हुए वर्तमान स्थान कांके पहुंचा। 4 सितंबर 1925 को यहां 110 पुरुष और 19 सितंबर 1925 को 53 महिला मरीज भर्ती किए गए थे। तब इसे इंडियन मेंटल हॉस्पिटल नाम दिया गया और इसके पहले अधीक्षक कैप्टन जे ई धुंजीभॉय बने। स्वतंत्रता के बाद 1958 में इसका नाम रांची मानसिक आरोग्यशाला रखा गया और 1998 में स्वायत्त दर्जा मिलने के बाद यह रांची तंत्रिका मनोचिकित्सा एवं संबद्ध विज्ञान संस्थान (रिनपास) के नाम से जाना जाने लगा। आज रिनपास मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं, शोध और शिक्षा का प्रमुख राष्ट्रीय केंद्र है। यहां 550 बेड का मानसिक रोगी वार्ड, 50 बेड का नशामुक्ति केंद्र और पुनर्वास के लिए हाफ-वे होम जैसी आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं। संस्थान में डीएनबी मनोचिकित्सा, क्लीनिकल साइकोलॉजी और मनोरोग सामाजिक कार्य जैसे शैक्षणिक पाठ्यक्रमों में एमफिल और पीएचडी स्तर की पढ़ाई कराई जाती है। वर्ष 2024-25 में रिनपास ने 71 हजार से अधिक मरीजों को उपचार प्रदान किया। टेली-मेंटल हेल्थ सेवाएं, आत्महत्या रोकथाम हेल्पलाइन और ग्रामीण व आदिवासी क्षेत्रों तक मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार इसकी प्रमुख उपलब्धियों में शामिल है। शताब्दी वर्ष के इस अवसर पर आयोजित समारोह में संस्थान की गौरवपूर्ण यात्रा, वर्तमान उपलब्धियों और भविष्य की योजनाओं पर विशेष सत्र आयोजित किए जा रहे हैं। मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को जन-जन तक पहुँचाने की दिशा में रिनपास की यह शताब्दी यात्रा न केवल झारखंड बल्कि पूरे देश के लिए ऐतिहासिक महत्व रखती है।

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राज्य प्रमुख
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हंसराज चौरसिया स्वतंत्र स्तंभकार और पत्रकार हैं, जो 2017 से सक्रिय रूप से पत्रकारिता में कार्यरत हैं। उन्होंने अपनी शुरुआत स्वतंत्र प्रभात से की और वर्तमान में झारखंड दर्शन, खबर मन्त्र, स्वतंत्र प्रभात, अमर भास्कर, झारखंड न्यूज़24 और क्राफ्ट समाचार में स्वतंत्र लेखन कर रहे हैं। साथ ही झारखंड न्यूज़24 में राज्य प्रमुख की जिम्मेदारी भी निभा रहे हैं। रांची विश्वविद्यालय से हिंदी साहित्य में स्नातकोत्तर (2024–26) कर रहे हंसराज का मानना है कि पत्रकारिता केवल पेशा नहीं, बल्कि समाज की आवाज़ को व्यवस्था तक पहुंचाने का सार्वजनिक दायित्व है। उन्होंने राजनीतिक संवाद और मीडिया प्रचार में भी अनुभव हासिल किया है। हजारीबाग ज़िले के बरगड्डा गाँव से आने वाले हंसराज वर्तमान में रांची में रहते हैं और लगातार सामाजिक न्याय, लोकतांत्रिक विमर्श और जन मुद्दों पर लिख रहे हैं।
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