अतिवृष्टि के कारण आलू की फसल पूरे तरह से नष्ट किसान आत्मदाह करने को मजबूर -ओमप्रकाश मेहता
इचाक
प्रखंड एक ऐसा प्रखंड है जहां 70% लोग कृषि पर निर्भर करती है। यह प्रखंड कृषि प्रधान प्रखंड है। लेकिन इस बार के मौसम ने लगातार बारिश एवं अतिवृष्टि के कारण किसानों के उम्मीद पर पूरी तरह से पानी फेर दिया है किसने की कमर टूट चुकी है किसान काफी चिंतित एवं मर्माहत है. किसान आत्मदाह करने को मजबूर हैं ।क्षेत्र में इस वर्ष कोई फसल नहीं हो पाई खासकर यहां की धनिया की फसल देश विदेश की बाजारों में जाया करती थी जो इस क्षेत्र के किसानों का आय के एक मुख्य स्रोत था. लेकिन अति वृष्टि के कारण धनिया की फसल नहीं हो पाई जिस कारण यहां के किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ा है. इतना ही नहीं वर्तमान समय में इस क्षेत्र के किसानों के लिए आलू का फसल जीविको पार्जन का एक मुख्य साधन था. यहां के किसानों ने बैंकों से कर्ज या फिर महाजनों से कर्ज लेकर आलू का तो फसल लगाई लेकिन कहावत में है भगवान के सामने किसी का एक नहीं चलती है. यह कहावत चरितार्थ होते दिख रही है अतिवृष्टि के कारण आलू का फसल पूरी तरह से नष्ट हो गई है. जिस कारण यहां के किसान भुखमरी के कगार पर पहुंच गए हैं. और आत्मदाह करने को मजबूर हो गए हैं। उपरोक्त बातें भाजपा किसान मोर्चा के जिला उपाध्यक्ष सह निवर्तमान सांसद प्रतिनिधि ओम प्रकाश मेहता ने कही।
आगे श्री मेहता ने कहा कि इचाक प्रखंड अंतर्गत मुख्य रूप से ग्राम बरका खुर्द काला द्वार रतनपुर फूफंदी मड़प्पा सायल कला सायल खुर्द दरिया जोगड़ीह जगड़ा डोय पोखरिया डाढा बरकाकला मनाई लोहंडी अलौंजा कला अलौंजा खुर्द ठेपाई समेत इचाक प्रखंड के अन्य दर्जनों गांवों के किसानों ने कई सौ ट्रक आलू का बीज कानपुर से लाकर रोपने का काम किया है। एक पैकेट आलू लगाकर उत्पादन करने में रोपने से लेकर कोडने तक सभी चीजों को जोड़कर लगभग 4000 से ऊपर किसानों को खर्च आता है। और यहां का एक-एक ऐसा किसान है जो 100 एवं 200 पैकेट से कम आलू नहीं रोपते हैं. छोटा से छोटा किसान भी 50 पैकेट से कम आलू का बीज नहीं लगाते हैं। इस क्षेत्र के लिए आलू एक ऐसा फसल है जो किसानों के लिए एक जीविकोपार्जन का मुख्य साधन है लेकिन किसानों ने तो आलू का बीज लगाई । आलू के बीज लगाने के बाद भारी बारिश के कारण खेतों में आलू का बीज सड गया जिस कारण आलू के फसल का जनमेंशन नहीं हो पाया अगर इक्का दुक्का आलू का जनमेंशन हुई है तो वह भी आलू सड़ना मरना एवं गलना चालू हो गया है।जिस कारण आलू का फसल पूरे तरह से नष्ट हो गई है. इससे किसानों का कमर टूट चुकी है किसान भुखमरी के कगार पर पहुंच गए हैं परिणाम स्वरूप किसान आत्मदाह करने को मजबूर हो गए हैं। आलू के फसल नष्ट होने से पूरे प्रखंड में अरबो रूपया का नुकसान है। किसानों को एक तरफ बैंकों से ली गई कर्ज़ एवं दूसरी तरफ महाजनों से लिया हुआ कर्ज का डर सता रहा है। इसलिए इस क्षेत्र के किसानो की भयावह स्थिति को देखते हुए झारखंड सरकार एवं झारखंड सरकार के कृषि मंत्री साथ ही साथ जिले के उपायुक्त एवं प्रखंड के पदाधिकारी को ध्यान आकृष्ट करते हुए कहना है कि जितना जल्द हो सके टीम गठित कर पूरे क्षेत्र में जिस जिस गांव के किसान आलू लगाई है और भारी बारिश के कारण आलू नष्ट हो गई है उसे अविलंब सर्वे करवाएं। श्री मेहता ने कहा कि सर्वे करवाकर नष्ट हुए किसानों के फसल का उचित मुआवजा देने की मांग करता हूं ताकि क्षेत्र के किसान आत्मदाह करने पर मजबूर ना हो। और बैंकों एवं महाजनों से ली गई कर्ज को चुका सकें। और जीविकापार्जन कर सके।

